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Saturday, March 13, 2021

संगीतमयी कथा में श्रोताओं ने ध्रुव की कथा का किया रसपान

संगीतमयी कथा में श्रोताओं ने ध्रुव की कथा का किया रसपान


कप्तानगंज,बस्ती। दुबखरा समय माता मंदिर पर चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा एवं श्री विष्णु महायज्ञ के चौथे दिन पर कथा वाचक परम पूज्य भार्गव मुनि जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा में भगवान कपिलदेव संवाद, धुव्र चरित्र, भरत प्रसंग व प्रह्लाद चरित्र व सती चरित्र का वर्णन किया। कथा वाचक ने कहा कि जहां भागवत कथा होती है, वहां स्वयं भगवान विराजमान होते हैं। भागवत कथा श्रवण मात्र से ही किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। महापुरुषों को उनके आचरण से जाना जाता है।


ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि ध्रुव जो समस्त मार्ग निर्देशकों का मार्गदर्शक हैं। जो चल नक्षत्रों में स्थिर हैं, का विवाह संस्कार आदि शुभ कार्यो में स्मरण किया जाता है। इनका नक्षत्र मंडल परिक्रमा करता है। अविनाशी परमानंद स्वरूप हैं। भक्त प्रहलाद का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि हिरण्याकश्यप नामक दैत्य ने घोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान प्राप्त किया कि वह न दिन में, न रात में, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न नर मार सके न नारी, न पानी में डूबने आदि से न मरने का वरदान प्राप्त किया था। हिरण्याकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्याकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानते थे। वह निर्भय थे। हिरण्याकश्यप पुत्र प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं देने लगे जबकि भगवान हमेशा प्रह्लाद की रक्षा करते रहे। अतत: भगवान विष्णु ने नरसिंह भगवान का रूप धारण किया व अत्याचारी दैत्य हिरण्याकश्यप को गोधूलि बेला में वध किया था। भागवत कथा को लेकर दुबखरा सहित आसपास के गांव में भक्ति का माहौल व्याप्त है।

कथा में प्रमुख रूप से आचार्य प्रमोद पाण्डेय जी, अजीत नाथ जी महाराज, शुभम वैदिक,कैलाश मिश्रा, राजेश तिवारी,गौरव तिवारी, वीरेंद्र ओझा, पवन यादव, प्रमोद चौधरी,सत्य प्रकाश सिंह,श्रवण सिंह,ध्रुव सिंह,झिनकान गिरि जी,जय नन्द सिंह सहित अन्य उपस्थित लोगों ने अमृतमयी कथा का रसपान किया।

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