बस्तीः कोविड काल में संक्रमितों का इलाज करते हुये अपनी जान गंवा चुके सभी 724 चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुये इंडियन मेडिकल एसोसियेशन देशभर में डाक्टरों पर हो हमलों का विरोध दर्ज करायेगा। हालांकि इस दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नही पड़ेगा, ओपीडी सहित सभी सेवायें पूर्ववत जारी रहेगा।
मालवीय रोड स्थित नवयुग मेडिकल सेंटर पर बुलाई गई पत्रकार वार्ता में आईएमए अध्यक्ष डा. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने 18 जून को आईएमए के लोग काला रीबन, टीशर्ट, मास्क और प्रतीकात्मक झण्डा लगाकर देशभर में चिकित्सकों पर हो रहे हमलों का विरोध दर्ज करायेंगे। इस दौरान मरीजों के इलाज व अन्य सेवाओं को पहले जैसा जारी रखा जायेगा, ओपीडी भी संचालित रहेगी। आईएमए अध्यक्ष ने कहा उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों में चिकित्सकों पर हुये हमले दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सरकार हमे सुरक्षा दे पाने में विफल है।
मरीजों की जान बचाने के लिये अहर्निश भाव से सेवारत देशभर के चिकित्सक अपनी खुद की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहेंगे तो निःसंदेह इसका असर समूचे जनमानस पर पड़ेगा। उन्होने ऐसे मामलों पर तत्काल अंकुश लगाने की सरकार से मांग की। आईएमए महासचिव डा. नवीन कुमार ने कहा मांगों को ब्रीफ करते हुये कहा कि 18 जून को प्रस्तावित कार्यक्रम के जरिये आईएमए देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, और सम्बन्धित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता है।
मांग की गयी है कि स्वास्थ्स सेवा प्रदाताओं को सुरक्षा दी जाये, हेल्थकेयर प्रोफेशनल अधिनियम में आईपीसी की धारा और आपराधिक गतिविधियां जोड़ी जायें, अस्पतालों के सुरक्षा मानकों में वृद्धि की जाये, अस्पतालों को सिक्योरिटी जोन घोषित किया जाये तथा चिकित्सकों पर हमले तथा अस्पतालों पर तोड़फोड़ के मामलों की सुनवाई त्वरित अदालतों मे की जाये। डा. पीके श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता दोहराते हुये कहा कि कोरोना काल में भी चिकित्सक इमरजेंसी मामलों को अटेण्ड करते रहे। कोरोना काल में ओपीडी बंद करने के सवाल पर आईएमए अध्यक्ष ने कहा यद्यपि हमारी इमरजेंसी सेवायें जारी थीं, लेकिन इससे पहले यह सवाल सरकारी अस्पतालों की ओपीडी पर उठने चाहिये। सरकार ने हमे कोई सुरक्षा किट नही प्रदान की, फिर भी आईएमए चिकित्सकों ने इमरजेंसी सेवा दी, लेकिन सरकारी अस्पतालों में तमाम सुविधायें होने ेक बावजूद ओपीडी बंद थी।
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