बस्ती। वायु को प्रदूषणमुक्त बनाकर बच्चों व महिलाओं के जीवन को सुरक्षित बनाया जा सकेगा। सोमवार को प्रथम अंतराष्ट्रीय स्वच्छ वायु व नीला आसमान दिवस मनाया गया। इसी के साथ एक सप्ताह तक वायु प्रदूषण जागरूकता सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान आशा व आंगनबाड़ी विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों व प्रदूषण से बचाव के संबंध में जागरूक करेंगी।
एडी हेल्थ बस्ती मंडल डॉ. सीके शाही ने बताया कि पहली बार स्वच्छ वायु व नीला आसमान दिवस व जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों व महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। लोगों को जहां प्रदूषण कम करने के लिए जागरूक करना है वही बच्चों व महिलाओं को प्रदूषषित वातावरण से बचने की सलाह इस जागरूकता अभियान के दौरान दी जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार व्यवहारिक, पर्यावरणीय व शारीरिक कारकों का मिश्रण बच्चों को वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के विकास व कार्य क्षमता में कमी, दमा व अस्थमा की शिकायत, श्वसन तंत्र का संक्रमण, मानसिक विकास में कमी व व्यवहार संबंधी विकार, बड़े होने पर ह्दयरोग, शुगर, स्ट्रोक का खतरा तक रहता है।
गर्भ में रहने के दौरान पड़ने वाले प्रभाव के कारण जन्म के समय नवजात का वजन कम होता है तथा समय से पहले जन्म हो जाता है, जिससे शिशु मृत्यु दर बढ़ने का खतरा रहता है।
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जोखिम कम करने के उपाय
- बाहर निकलने से पहले एक्यूआई स्थिति की जांच करें।
- बाहर की हवा की गुणवत्ता गंभीर स्थिति तक खराब है तो बाहर खेलने न जाएं।
- वायु की गुणवत्ता खराब होने पर मॉस्क का प्रयोग करें।
- घर व स्कूल परिसर में पेड़-पौधे लगाएं।
- नियमित रूप से स्वच्छ वायु में व्यायाम करें।
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वायु प्रदूषण कम करने के उपाय
- वाहनों का प्रयोग कम करें। बेहतर हो सार्वजनिक परिवहन से सफर करें।
- सार्वजनिक परिवहन के प्रयोग के लिए परिवार व मित्रों को प्रोत्साहित करें।
- बिजली व पानी की बर्बादी न होने दें।
- पटाखे, अपशिष्ट, प्लास्टिक, लकड़ी, पत्ते आदि जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित न करें।
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बच्चों में ज्यादा समस्या के मुख्य कारण
- बच्चों का श्वसनतंत्र विकसित हो रहा होता है, जिससे वे जहरीले वायु प्रदूषकों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- वायुमार्ग संकीर्ण होने के कारण जहरीले प्रदूषक वायुमार्ग के ऊतकों को अधिक प्रभावित करते हैं। इससे वायुमार्ग में सूजन व श्वास संबंधी समस्या हो सकती है।
- बच्चों की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण वे किसी भी विषाक्त व प्रदूषक पदार्थो के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- बच्चे व्यस्कों की तुलना में प्रति यूनिट शारीरिक वजन के हिसाब से अधिक मात्रा में हवा व साथ में अधिक वायु प्रदूषक सांस में लेते हैं।
- बाहर प्रदूषित हवा में ज्यादा समय बिताते हैं, खेलकूद में भाग लेने के कारण वे ज्यादा सांस लेते हैं।
- घर में माताओं के पास रहने के दौरान प्रदूषणकारी ईधन व उपकरणों के करीब ज्यादा रहते हैं।
- कद छोटा होने के कारण वाहनों के प्रदूषित धुएं से वे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
- मुंह से सांस लेने की आदत के कारण बड़ी मात्रा में जहरीले प्रदूषक सीधे उनके फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।
- बड़ों की तरह बीमारी के लक्षण को जल्दी पहचान नहीं पाते और रोग का पता चलने में देरी हो जाती है।
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यह भी जरूर जानिए
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में में प्रदूषित हवा के कारण हर तीन में से एक बच्चे का फेफड़ा प्रभावित हो रहा है।
- वायु प्रदूषण से जुड़े निचले श्वसन तंत्र के संक्रमण, अन्य रोगों की तुलना में बच्चों की मृत्यु के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।
- वायु प्रदूषण के कारण हर तीन मिनट में एक बच्चा अपना जीवन खो रहा है। पिछले 27 साल में एक करोड़ से अधिक बच्चे अपना छठवां जन्मदिन नहीं मना पाए।
- विश्व में बच्चों की हर दस मौत में से एक मौत का कारण वायु प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं को माना जाता है।
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