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Wednesday, January 13, 2021

आइए जानें मकर संक्रांति पर इस बार किस प्रकार से बन रहा है स्नान,दान,पूजा पाठ और शुभ कर्म का योग कैसे करें स्नान और दान जानिए हमारे साथ:पंडित देवस्य मिश्र

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आइए जानें मकर संक्रांति पर इस बार किस प्रकार से बन रहा है स्नान,दान,पूजा पाठ और शुभ कर्म का योग कैसे करें स्नान और दान जानिए हमारे साथ:पंडित देवस्य मिश्र


नववर्ष 2021 की मकर संक्रांति 14 जनवरी दिन गुरुवार को है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वे दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई आदि करने की अनुमति हो जाएगी। एक माह का खरमास भी इसके साथ ही समाप्त हो जाएगा। मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का मुहूर्त क्या है? दान की विधि क्या है? क्या दान करें?

मकर संक्रांति 2021 स्नान मुहूर्त

14 जनवरी को मकर संक्रांति का प्रारंभ सुबह 08 बजकर 30 मिनट से हो रहा है। मकर संक्रान्ति पुण्य काल सुबह 08:30 बजे से शाम 05:46 बजे तक है। संक्रान्ति पुण्य काल की कुल अव​धि 09 घंटा 16 मिनट की है। मकर संक्रान्ति का महा पुण्य काल 08:30 बजे से 10:15 बजे तक है। यह अवधि कुल 01 घंटा 45 मिनट की है। मकर संक्रांति का महा पुण्य काल स्नान तथा दान के लिए उत्तम होता है। ऐसे में आप स्नान तथा दान सुबह 08:30 से 10:15 बजे के मध्य कर लें। हालांकि मकर संक्रांति के दिन सुबह 08:30 बजे से लेकर शाम 05:46 बजे के मध्य कभी भी स्नान-दान किया जा सकता है।

मकर संक्रांति को गंगा स्नान का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे ललकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में मिल गई थीं, इसीलिए मकर संक्रांति को गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।

मकर संक्रांति पर क्या दान करें

मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में स्नान के बाद सूर्य उपासना, जप, अनुष्ठान, दान-दक्षिणा देते हैं। दान में गुड़, काले तिल, खिचड़ी, कंबल और लकड़ी का विशेष दान होता है।

दान की विधि

स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। जनेऊ पहनते हैं तो उसे बदल लें। उसके बाद पूरब की तरफ मुख करके हाथ में जल, अक्षत् लेकर दान का संकल्प लें। फिर दान की वस्तु का दान करें। दान की गई वस्तुओं को स्वयं जाकर किसी योग्य ब्राह्मण या जरुरतमंद को दे दें। स्वयं जाकर दिया हुआ दान उत्तम दान माना जाता है। कभी भी क्रोध में दान न करें या कुपात्र को दान न दें। वह फलित नहीं होता है।

अप्रैल से होंगे मांगलिक कार्य

खरमास के कारण रुके हुए मांगलिक कार्य मकर संक्रांति के बाद से प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस वर्ष गुरु और शुक्र के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्य अब अप्रैल से होंगे।

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