बस्ती। शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की आत्मा है। विद्वानों ने शास्त्रीय संगीत को पांचवां वेद माना है। यह विचार पं0 ज्वाला प्रसाद संगीत सेवा संस्थान द्वारा प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित शास्त्रीय गायन के आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त करते हुए डा0 वी0के0 वर्मा ने कहा कि शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार नितान्त आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि अरूण राय ने कहा कि अभिभावकों को संगीत के प्रति गंभीर होने की जरूरत है, जिससे बच्चों में संगीत के प्रति रूचि बढ़े।
संगीत शिक्षक राजेश आर्य, ंसंतोष श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह का आयोजन बस्ती में बहुत वर्षों के बाद हो रहा है। बिना शास्त्रीय संगीत सीखे गायन के क्षेत्र में ऊँचाई को हासिल करना आसान नहीं है। संगीत अध्यापिका कु0 ज्योति ने बच्चों को रागों को अच्छे ढंग से गाने के लिए टिप्स दिए। कार्यक्रम का संचालन विनोद उपाध्याय ने किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ। इसके बाद सृष्टि ने राग देश, रणविजय-राग विहाग, प्रतिभा पाण्डेय-राग जयजयवन्ती, रत्नेश कुमार-राग भूपाली, माण्डवी-राग शुद्ध कल्याण, परी राग पटदीप, अभिषेक-राग दरबारी, आफताब- राग देश, कंवलजीत -राग तिलंग, आनन्द -राग केदार, नितेश-राग मालकोश प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबले पर रवी एवं आर्गन पर हासिम अहमद रहे।
कार्यक्रम में डा0 नवीन, रंजना अग्रहरी, मंजू अग्रहरी, कुसुमलता मिश्रा, राजेन्द्र भारती, सुनीता चौधरी, रजनी गुप्ता, लवकुश सिंह, राजेन्द्र उपाध्याय, वशिष्ठ पाण्डेय, राकेश गिरि, उत्कर्ष श्रीवास्तव सहित अनेकों लोग मौजूद रहे।
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