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Tuesday, March 9, 2021

कोविड काल की मसीहा सुनीता को मिला सम्मान

कोविड काल की मसीहा सुनीता को मिला सम्मान

डेढ़ हजार मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाया था

17205 मरीजों को होम आइसोलेशन में टीम के जरिये किया सहयोग

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिशन शक्ति अभियान की नोडल भी हैं सुनीता


गोरखपुर। कोविड काल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए मसीहा की भूमिका निभाने वाली उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित किया गया है। कोविड काल के दौरान डेढ़ हजार मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाने में अहम भूमिका निभाने वाली सुनीता पटेल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिशन शक्ति अभियान की नोडल अधिकारी भी हैं। इंटीग्रेटेज कोविड कमांड सेंटर (आईसीसी) में विभागीय नोडल के हैसियत से सुनीता पटेल ने सक्रिय योगदान दिया। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राजेश कुमार सिंह का कहना है कि सुनीता पटेल ने 17205 ऐसे मरीजों को अपनी टीम के जरिये सहायता पहुंचायी जो होम आइसोलेशन में थे और जिन्हें मदद की दरकार थी। कैंपियरगंज क्षेत्र के बापू इंटर कालेज में प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ने मिशन शक्ति अभियान समारोह के दौरान उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

अपर जिलाधिकारी ने बताया कि श्रीमती पटेल ने होम आइसोलेशन वाले 451 मरीजों को मेडिवर सिटी हॉस्पिटल के सहयोग से निःशुल्क ब्लड जांच की सुविधा उपलब्ध करवाया। जिले में यूनीसेफ के साथ समन्वय बना कर 52 कोविड चैंपियंस की टीम गठित की और करीब 5000 कोविड मरीजों को वीडियो संदेश भिजवा कर उनका मनोबल बढ़ाया। वह प्रदेश में एक मात्र उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हैं जिन्हें इस अभियान के लिए राज्य स्तर से प्रशस्ति पत्र मिला है। उनके प्रयासों से 27 प्लाज्मा डोनर तैयार हुए और पांच मरीजों को प्लाज्मा देकर उनकी जान बचायी जा सकी। उन्होंने जिले के बाहर के उच्च चिकित्सा संस्थानों में भी कोविड काल के दौरान समन्वय किया। मरीजों के परिवार के साथ वह हर कदम पर खड़ी रहीं और उनकी हर समस्या का समाधान करवाया। 

आत्मसंतुष्टि प्राप्त हुई

उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल ने बताया कि उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित किया गया है । इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि प्राप्त हुई है। यह सब जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय एवं अन्य उच्चाधिकारियों के कुशल मार्गदर्शन के कारण संभव हो पाया। उनके पति और दो छोटे बच्चों के सहयोग के कारण वह सामाजिक योगदान दे सकीं। आगे भी जनसेवा का इसी प्रकार प्रयास जारी रखेंगी।

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