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Monday, December 16, 2019

नागरिकता संशोधन बिल क्या है: यहां जानिए हर सवाल का जवाब

नागरिकता संशोधन बिल क्या है जानें... 


 


1. क्या सीएबी बिल भारतीयों (हिंदुओं, मुसलमानों, किसी को) को प्रभावित करता है?


उत्तर:। _नहीं। इसका भारतीयों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है_


 


2. यह किसके लिए लागू होता है..?


 


उत्तर : तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों और ईसाइयों के लिए, जो उन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं और जो 1 दिसंबर 2014 से पहले भारत में हैं।


 


3. कौन से तीन देश..? 


उत्तर : _पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान_। 


 


4. इन तीन देशों से किस तरह से यह हिंदू, सिख, जैन और ईसाईयों को फायदा पहुंचाता है?


 


उत्तर : उनकी निवास आवश्यकता 11 से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई है। और वे इस कानून के तहत एक अधिकार के रूप में नागरिकता का दावा कर सकते हैं। 


 


5. क्या इसका मतलब यह है कि इन 3 देशों के मुसलमान कभी भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते हैं..? 


 


उत्तर : नहीं, लेकिन वे 'थ्रू' प्राकृतिककरण नियमों को प्राप्त करने की सामान्य प्रक्रिया को समाप्त कर देंगे। 11 वर्ष का निवास स्थान आदि।


 


6. क्या इन 3 देशों के अवैध मुस्लिमों को इस बिल के तहत स्वचालित रूप से निर्वासित किया जाएगा?


उत्तर : नहीं। सामान्य प्रक्रिया लागू होती है। प्राकृतिककरण के लिए उनका आवेदन उनकी पात्रता के आधार पर हो सकता है या नहीं दिया जा सकता है। 


 


7. क्या अन्य देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदू इस कानून के तहत आवेदन कर सकते हैं?


 


उत्तर : नहीं । 


 


8. क्या यह बिल उत्पीड़न के अन्य रूपों पर लागू होता है - राजनीतिक, नस्लीय, यौन आदि।


 


उत्तर : नहीं। बिल अपने इरादे में बहुत विशिष्ट है - हिंदू… धार्मिक उत्पीड़न… 3 देश_


 


9. ये 3 देश ही क्यों? और केवल हिंदुओं का धार्मिक उत्पीड़न क्यों..? 


 


उत्तर : इन 3 देशों में हिंदुओं के व्यापक, व्यवस्थित और संस्थागत उत्पीड़न का एक ट्रैक रिकॉर्ड है। 


 


10. श्रीलंकाई तमिलों के बारे में क्या?


उत्तर : (1) युद्ध को अब एक दशक से अधिक समय हो चुका है।


(२) धार्मिक आधार पर कभी कोई उत्पीड़न नहीं हुआ। यह नस्लीय तर्ज पर था। और दशकों के गृह युद्ध के बाद श्रीलंकाई लोगों ने तमिला_ के संस्थागत भेदभाव को खत्म कर दिया।


 


11. क्या शरणार्थियों की देखभाल के लिए UN के तहत भारत का दायित्व नहीं है?


उत्तर : हाँ यह करता है। और यह उससे दूर नहीं जा रहा है। लेकिन नागरिकता की पेशकश करना उसका कोई दायित्व नहीं है। प्रत्येक देश के प्राकृतिककरण के अपने नियम हैं। भारत इस कानून के तहत अन्य शरणार्थियों को दूर नहीं करने जा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत उनकी मेजबानी करेगा, इस निहितार्थ में कि किसी दिन वे स्थिति में सुधार होने पर अपने घर लौट आएंगे। लेकिन इन 3 देशों के हिंदुओं के मामले में, यह कानून इस वास्तविकता को स्वीकार करता है कि इन 3 देशों में उत्पीड़न का माहौल कभी नहीं सुधरने वाला है_


 


12. पाकिस्तान में बलूचियों, अहिदायों, म्यांमार में रोहिंग्याओं को इस दयालुता के लिए क्यों नहीं माना जाना चाहिए?


उत्तर : उन्हें मौजूदा कानूनों के तहत माना जाएगा। विशेष श्रेणी के अंतर्गत नहीं ।


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