दोस्तो शायद आप लोगो ने भी किसी की अंतिम संस्कार कराने के लिए कभी न कभी शमशान घाट का तो चक्कर लगाया होगा।
जब उस व्यक्ति का शव धु धू करके जला होगा तो यही रखना होगा कि एक न एक दिन हमें भी उसी जगह आकर राख में जाना होगा।
उसी समय आपके अंदर की साधक नष्ट हो गई होगी और आपने सोचा होगा कि क्या है क्यों किसी के साथ गलत किया जाए किसी का दिल दुखाया जाए सब कुछ तो यहीं रहेंगे।
पर जैसे घर से वापिस आएंगे कि सच्चाई को भूल कर फिर से माया जाल घेर लिया जाएगा और अपने परिवार की जरूरत पूरी करने के लिए फिर उसी काम में लग गए हैं।
लेकिन आज के तारीख में दोना महामारी का रूप धारण करके स्वयं काल आया है जो अपने मुंह में सबको समाता जा रहा है।
शमशान घाट पर शव जलाने के लिए जगह कम पड़ रही है लकड़ी मिल कोई रही रही है इलेक्ट्रॉनिक मशीन पिघल जा रही है कब्रिस्तान मे कब्र एडवांस खोदी जा रही है।
ये हालात हो गए हैं इंसानो की फिर भी लोग अभी भी अपनी शान शौकत में अपनी इंसानियत को भूल कर अपराध कर रहे हैं भ्रष्टाचार कर रहे हैं अपनी कर कुर्सी पाने के लिए इंसान इंसान को मौत के घाट उतार रहा है चुनाव जीतने के लिए खूनी अन्याय हो रही है पुलिस सरकार को खुश रखने के लिए उन गरीब मजदूर मजबूर असहाय कमजोर लोगो का संयोजन कर रही है जो पूरा दिन मजदूरी मेहनत करके अपने बीबी बच्चो की उम्मीद बन कर घर जा रही है जो सोच रही है आज अपने बच्चे के लिए कुछ अच्छा है खाने का समान ले जाऊंगा।
आज घर मे कुछ अलग सब्जी या दाल बनाऊंगा।
पर पुलिस के नजरो मे वो बिना पूछे का दिख जाता है।
और उसका सौ रुपये से लेकर पांच सौ तक का विज्ञापन कर दिया जाता है।
वह हाथ भी संस्करण है गलती की माफी भी मांगता है उसे लगता है कि शायद साहब को दया आ जाएगी और हम संयोजन से बच जाएंगे।
लेकिन साहब क्या करें उन्हें भी तो अपनी ड्यूटी करनी है।
पर यहां अधिकारी भी क्या करे उसे भी तो सरकार की बात माननी है अगर सरकार के खाने में पैसे नहीं होंगेगें तो सरकारी कर्मचारी की सैलरी कैसे आयेगी चुनाव आयेगा तो चुनाव का प्रचार प्रसार कैसे होगा।
ये प्रणाली आज के युग का रामायण मे एक चौपाई लिखी है जब जब होय धर्म कै हनी बाढै असुर महाज्ञानी।
"जब जब धरती पर किसी भी चीज की अति हुई है तब तब किसी न किसी रूप में भगवान का औतार हुआ है।"
ये दोना महामारी भी इंसानो के अंदर बैठातन का दिया हुआ वायरस है।
जो अपना काम करके लोगो को मौत के घाट उतार रहा है।
पर शायद वो भूल रही है की धरती पर जब रावण जैसे महा पंडित महा बलवान का नही चला कंस जैसे राजा का नहीं चला हिरण्यकश्यप जैसे लोगो का अंत हुआ तो दोना क्या बात है।
बस धरती पर जिस दिन से पाप लालच बैयमानी इंसान इंसान को मौत देने का सिल सिला कम कर देगा बहन बेटिया सुरक्षित हो जायेंगी मास शराब मादक पदार्थ जैसे खतरनाक सेवन करना लोग बंद कर देंगे इंसान इंसान से प्यार करने लगेगा दूना का अंत दिन से शुरू हो जाएगा।
मृत्यु से डरना क्या।
यही तो एक सत्य है जो आया है वह होगा।
डरो मत डर के आगे जीत है बस फ़ैसला लगाओ बार बार हाथ धुलो | जब तक दोना का अंत नहीं हो जाता तब तक एक दुसरे से दूरी बनाये। पर भाई चारा इंसानियत बरकरार रहे।
संपादकीय
अरुण कुमार
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